सन्त उमाकान्त जी ने बताया 23 मार्च को मुक्ति दिवस मनाने का कारण : उमाकान्त जी महाराज

  • महात्माओं को हमेशा से ही बहुत तकलीफ झेलनी पड़ी है क्योंकि सही बात को कहने में संकोच नहीं करते

उज्जैन, मध्य प्रदेश। पूरे विश्व में इस समय के जगाए हुए, भगवान की पूरी शक्ति वाले नाम जयगुरुदेव को जगाने वाले, उसका प्रचार करने वाले सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी उज्जैन वाले इस समय धरती पर मौजूद, जीवित उज्जैन वाले सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 18 मार्च 2022 को प्रातः कालीन बेला में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि हमेशा ऐसा होता रहा है कि महात्माओं को बहुत तकलीफ झेलनी पड़ी है क्योंकि महात्मा निशंक होते हैं। 

सही बात को कहने में कोई भी संकोच नहीं करते। इमरजेंसी से पहले शासन और शासन करने वालों की कमियों को गुरु महाराज मंच से बोल देते थे, उजागर कर देते थे। अच्छे लोग उन बातों को पकड़ कर के सुधार लाते थे और जो शराब के नशे में रहता था, जो मांस के खाने से जिसके अंदर कोई भी धार्मिकता की भावना थी ही नहीं या धार्मिकता थी भी तो केवल वोट लेने के लिए तो उसके समझ में नहीं आता था। 

गुरु महाराज सीधा मंच से बोलते थे। सतसंगियों, जिम्मेदारों को सुधारना रहता है तो उन कमियों को मैं सीधा बोल देता हूं। बहुत लोग सुधार कर लेते हैं और बहुत से छोड़कर भाग भी जाते हैं कि ये यह हमेशा कड़क ही बोलते हैं, सम्मान नहीं देते। 

गुरु महाराज को सच बोलने पर तत्कालीन बेवा प्रधानमंत्री द्वारा बहुत यातनाएँ दी गयी

गुरु महाराज बोले थे कि (तत्कालीन) प्रधानमंत्री के हाथ में ऐसी विप्लवकारी रेखा है की जिससे बेगुनाह बेमौत लाखों लोगों की जान चली जाएगी। उस समय बेवा (विधवा) प्रधानमंत्री थी जिसके दो बच्चे थे। देखो कुदरत का खेल, एक ही तरह से सब, एक के बाद दूसरा, बेमौत मरे। मौत उसी तरह की रही जैसे गुरु महाराज कहा करते थे, बच्चा तेरा कचूमर निकल जाएगा, चिथड़े उड़ गए। तो वो बेवा प्रधानमंत्री नाराज हो गई। जैसे करेला नीम पर चढ़ जाए तो और कड़वा हो जाता है, उसी तरह की थी। जो मन में आता था, करती थी। उसको बात लग गई। तो उसने इमरजेंसी लगाया और सारे विरोधियों, नेता, साधु-महात्मा सबको जेल में बंद कर दिया, बड़ी यातनाएं दी। गुरु महाराज जी को बहुत तकलीफ दिया। फांसी कारद में रखा। 

बेड़ी-हथकड़ी डाल कर के जेल में बंद कर देते कि किसी तरह से भाग न सके। लेकिन बेंगलुरु में सुपरिटेंडेंट देखते ही मोहित, नतमस्तक हो गया। कहा अगर आप हमारे कर्नाटक के होते तो यह बेड़ी-हथकड़ी मैं आपको न डलवाता लेकिन मुझे आदेश है कि बेड़ी डालना पड़ेगा। किसी ने कहा यह बाबा जयगुरुदेव हैं तब उसके समझ में आया। उस दृष्टि से फिर वह देखने लग गया, गुरु महाराज ने भी दया कर दिया। बहुत तरह की तकलीफ, लोभ-लालच लोगों ने दिया लेकिन गुरु महाराज अपने लक्ष्य उद्देश्य पर टिके रहे। बहुत त्याग गुरु महाराज ने हमारे, आप लोगों के लिए किया।

गुरु के आदेश पर जेलों को भर दिया प्रेमियों ने

उस समय पर जो बच्चे थे, जो आपके पिता नामदानी थे, उनके द्वारा आपके ऊपर दया किया। राम चाहते तो अयोध्या में बैठकर के ही रावण को मार सकते थे लेकिन तब राम की, हनुमान की पूजा, महत्व न होता। हनुमान की तरह प्रेमियों ने गुरु का साथ दिया। हम लोग तो पहले ही (जेल) चले गए थे, हमें सब पता है। लेकिन जब आदेश हुआ तो प्रेमियों ने जगह-जगह जेलों को भर दिया था। (जेलों में खाली) जगह ही नहीं रह गई थी तो मारपीट के जंगलों में छोड़ देते थे। 35-40 किलोमीटर चलकर के लोग अपने घरों में आया करते थे, बड़ी ख़राब स्थिति थी। पेट में बच्चा था, वह बच्चियां भी चल पड़ी। जेल में ही बच्चे पैदा हुए। एक घर से 7 लोग जेल चले गए। बोले थे जो इन बच्चों के ऊपर लाठियां पड़ी, यह मेरे दिल में चोट पहुंचा रहे हैं। बोले इसका फल तुमको मिलेगा। आध्यात्मिक और भौतिक फल दोनों फल मिला।

मुक्ति दिवस मनाने का तरीका

23 मार्च को गुरु महाराज की रिहाई हुई थी। उसी समय से प्रेमी मुक्ति दिवस को त्यौहार के रूप में मनाते हैं। सुबह उठते हैं। 6 बजे से 8 बजे तक झंडा लगा देते हैं। उसके बाद दोपहर (3 बजे) तक व्रत रखते हैं। ध्यान, भजन सतसंग करते हैं। 8 दिन तक लोग इसको मनाते हैं और 30 मार्च को झंडा उतार कर समापन करते हैं। 

सन्त उमाकान्त जी के वचन 

जिभ्या के स्वादी मनुष्य के अन्दर से दया खत्म हो जाती है। सुख और दुःख मानसिक प्रभाव है, दोनों में सम रहना चाहिए। महात्मा की बात मानने पर ही तकलीफें दूर होंगी। सतगुरु के बताये रास्ते पर जो चलते है, मंजिल तक पहुँच जाते हैं। सच्चाई का रास्ता साधक के लिए सुलभ होता है।

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